गीत
हरदम नेहिया के बाण फेंकल क रs।
चाहें कवनो नज़रिया से देखल क रs।।
साँस तड़पे लागल
आस जागे लागल
प्रीत में गोली से
लोग दागे लागल,
आस दिल के पुराव, करीब आ के तू,
हमके रोकल क र, राह छेंकल क रs।।
रात होखे त का
केहू टोके त का
तहके चाहत रहेब
देबू धोखे त का,
सगरो चिंता मरे, फिकिर सब छूटे,
खाली तहके सोचीं, अइसे बेकल क रs।।
बैर भूले सभे
मन-झूले सभे
प्यार ई देख के
फले-फूले सभे
आदर सब में रहे, केहू कुछ न कहे,
काम अइसन क र, भले एकल क रs।।
- केशव मोहन पाण्डेय
No comments:
Post a Comment