ग़ज़ल
खुशहाल जिनगी भी जहर हो जाला।
दिल के दुआ जब बेअसर हो जाला।।
लाख जतन कइला पर भी मिले ना मंजिल,
डगमगात कदम जब कुडगर हो जाला।।
सुन्न अंखियन से छलक जाला समुन्दर,
हिया में याद के जब कहर हो जाला।।
झोहे केतनो अन्हरिया साँझ के बेरा त का,
उजास होइए जाला जब सहर हो जाला।।
गरूर केतनो करे केहू मातल जवानी पर,
एक दिन उमीरिया के असर हो जाला।।
जिनगी में आवेला अइसन ठाँव कई,
सगरो जिनगिया ओही के नज़र हो जाला।।
- केशव मोहन पाण्डेय
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