गीत
सच के साथे जे रहे, कबो डरेला नाहीं।
सच के साथे जे रहे, कबो डरेला नाहीं।
जुझारू जवान कबो मरेला नाहीं।।
आन-बान शान रही, जाई चाहें प्राण हो,
गला कट जाये तबो कटी ना जुबान हो,
इहे हवे पहचान हो,
वीर भारती जवान हो।
हई करेब, ना करेब, कबो कहेला नहीं।
जुझारू जवान कबो मरेला नाहीं।।
जीत मिले चाहें कबो मिल जाए हार त,
जिनगी में चाहीं सबके मीठ बोली,प्यार त,
सहज व्यवहार त,
काहें तकरार त।
खाली मट्ठा बदे लोग दही महेला नाहीं।
जुझारू जवान कबो मरेला नाहीं।।
बतिए मेटा देला मतभेदवन के पाट के,
बतिए के कारन केहू रहेना कवनो घाट के,
मत बोल बेफाँट के,
बोल बात छाँट के।
कई बतिए के घाव कबो भरेला नाहीं।
जुझारू जवान कबो मरेला नाहीं।।
- केशव मोहन पाण्डेय