ग़ज़ल
अब करके हिम्मत इधर भी ध्यान दीजिए।
बेख़ौफ़ हो के अस्मत पर बयान दीजिए।।
महफूज़ रहें सभी, एक दौर तो ऐसा हो,
नफ़रत मिटाने को नया अज़ान दीजिए।।
डरते हैं खुदा से ना असलहों से वे लोग,
बदल दें रास्ते, कुछ ऐसा सामान दीजिए।।
सोचने पर कर देंगे उन्हें भी मज़बूर एक दिन,
इस नई सोच खातिर जुबान दीजिए।।
है दिल से गुज़ारिश आज के वालिदैनों से,
संतान दीजिए तो इनसान दीजिये।।
- केशव मोहन पाण्डेय
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