हृदय की भावनाओं का संवाद ......
अंतर में होता रहा, अनुपल शाश्वत युद्ध।
एक ओर सिद्धार्थ मन, दूजे गौतम बुद्ध।।
कैसे करता मैं रहूँ, सदा एक सा काम।
दोनों बैठे मन-सदन, दशकंधर औ राम।।
- केशव मोहन पाण्डेय
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