रात बाटे
त रहे दी
जे नइखे जागत,
सजग होके नइखे भागत
सहता आजुओ
त सहे दी।
जियरा के उदास मत करीं ,
जीयते रउरो मत मरीं
ना त
आदमी के मुअल चाम
कवनों कामे ना आई ,
स्थिति अइसने बनल रही त
आदमी आदमीए के खाई।
अगर मरहीं के बा
त कुछ अइसन क के मर जाईं
कि भाग पराये अन्हरिया
अँजोर अइसन बन के जर जाई।
तब रात, रात ना रही
हारे वाला कवनो बात ना रही।
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- केशव मोहन पाण्डेय
20,12.2013
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