संघर्षों का विष
दृग में स्वप्न अनोखे कल का
अनुभूति तेरे बल का
कल की बातें थीं ।
उम्मीद के लौ की ज्योति
उत्साहों के पथ की गति
कल की बातें थीं।
छूछे आदर्शों का मकड़जाल
कर्तव्यों का महाव्याल
हर कदम पर
हर पथ पर
मुँह बाये खड़ा है।
पहले नहीं समझा था कि -
टेढ़े जीवन में
सीधे लोगों के लिए
असफलताएँ छोटीं
और संघर्ष ही बड़ा है।
चल ताल ठोंक कर -
मेरा साथ तो दे
विश्वास न सही
केवल हाथ तो दे,
इस अपनों की बनावटी दुनिया में
कोई अपना तो है-
इस उम्मीद में जी लूँगा,
नहीं मिली मंजील तो क्या
सुख-दुःख की सीढ़ी चढ़ता
संघर्षों का विष पी लूँगा।
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- केशव मोहन पाण्डेय
09015037692
mere hilate hathon ko sahara mil jaye.
ReplyDeleteaap sa koi dost pyara mil jaye!