Sep 19, 2014

सोच (लघुकथा)

     ऑफिस में सहकर्मी हमेशा चर्चा करते है, अधिकारी उदहारण देते रहते है। कहते हैं कि आँखों में सपने तो सब पालते है। वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए लक्ष्य भी निर्धारित करता है। शिवम इसीलिए सफल है कि वह हर एक घटना के सकारात्मक पहलू को ही देखता है। अलग सोचता है। शिवम के पास काम के सामने समय कहाँ रहता है। लोकल की भीड़ में लंच का पैकेट खोलना मज़बूरी थी। वेज़-रोल का एक ही बाइट लिया था कि 'जोगेश्वरी' स्टेशन पर उतरती भीड़ के धक्के से पैकेट रेल-ट्रैक पर चला गया।
     'थैंक गॉड' कहकर एक लम्बी साँस लिया। यह सोचकर मुस्कुराने लगा कि आज माँ का बनाया हुआ वेज़-रोल यहाँ के चूहों को भी नसीब हो गया। 
     वास्तव में, सफलता की शुरुआत सोच से ही होती है।
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