(विश्व महिला दिवस पर विशेष )
कोरे दिवस से क्या होगा ?
जब दूसरे के वश में रहना ही है,
कुंठित घर - परिवार की मर्यादा त्याग
उस पाप से डर के
आँखों के बलात्कार
बोलियों के चोट का शिकार
और छुप कर
आंसुओं की धार में
सब कुछ सहना ही है !
आरक्षण केवल दिखावा है
'अच्छे' समाज का छलावा है,
सच्चाई तो सब जानते हैं,
नारी कहीं भी बैठे, जाये
कुछ भी कहे, सुनाये
उसे चूल्हे से बिस्तर तक भी
कैद रहना ही है ॥
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- केशव मोहन पाण्डेय
09015037692
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