'संवाद-रंग'
हृदय की भावनाओं का संवाद ......
Dec 20, 2021
दो दोहे
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अंतर में होता रहा, अनुपल शाश्वत युद्ध। एक ओर सिद्धार्थ मन, दूजे गौतम बुद्ध।। कैसे करता मैं रहूँ, सदा एक सा काम। दोनों बैठे मन-सदन, दशकंध...
दँवरी
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ई दुनिया दँवरी ह उमकल दरिआव के फेंटा लेत भँवरी ह। ई दुनिया मथेले विचार से देखाव के शिक्षा से बनाव के संस्कार से। ई दुनिया में जीव...
.यूनिवर्सल पोएट
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बातें बनाना सीखने लगा हूँ अब मैं भी कविता लिखने लगा हूँ अब तो रोज कवि सम्मेलनों में भी जाता हूँ भले गर्दभ स्वर में ही सही मैं अतुकांत कवित...
आदमी के मौत
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रात बाटे त रहे दी जे नइखे जागत, सजग होके नइखे भागत सहता आजुओ त सहे दी। जियरा के उदास मत करीं , जीयते रउरो मत मरीं ना त आदमी के मुअल चाम कवनो...
Nov 15, 2015
आतंक को धिक्कार
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मुझमें जितनी असभ्यता है उससे भी नीचे जाकर मैं गाली देता हूँ उन बर्बर कृत्यों को जो आतंक से अभिहित हैं। मुझमें जीतनी भी जैसी भी सच्चाई है...
1 comment:
Oct 13, 2015
अाग्रह
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'प्रतिलिपि काव्य प्रतिस्पर्धा' में सम्मिलित मेरी कविता। कृपया पढ़ें और पसंद आए तो लाइक करें। आपके मार्गदर्शन की भी अपेक्षा है। http...
Aug 28, 2015
बढ़ते जाना है
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हार मत मानना रे मन! कदम बढ़ाते जाना आँखें लक्ष्य पर अड़ाते जाना। क्या हुआ जो गिर गए? ऐसे ही तो अनगिनत साधु, संत और असंख्य पीर गए। ...
2 comments:
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